सत्ता की चाल पर कलम का नृत्य
फेसबुक पर लिखने पढने वाले वर्ग में कुछ ज्यादा ही समझदार लोग हैं। आजादी के 67 साल के बाद भी सत्ता की मलाई खाने के फेरे में पढे लिखे समझदार लोगों को आज भी पता नहीं है कि उसका पलडा किस और है। सिक्के की उछाल में ह ेड या टेल होता है। लेकिन फेसबुक पर ज्यादा समझदार लोग हेड को भी अपने पक्ष में और टेल को भी अपने पक्ष में मानते हैं। दोनों मामलों को अपने हित के हिसाब से देखते हैं और सोचते हैं किसमें कितना फायदा है। भारत में शुरूआत से ही फायदे और घाटे की राजनीति के हिसाब से लोगों में बदलाव होता रहा है। लेकिन कलम की धार हमेशा किसी पार्टी या संस्थान के पक्ष या विपक्ष में चली है। वर्तमान समय में कलम की धार कुंद तो हुई ही है साथ ही कलम का वार भी धारदार नहीं रहा। कलम चलाने वाले लेखक सत्ता की चाल पर थिरकते हैं। पूरे देश को ज्ञान का पाठ पढाने वाले प्रोफेसर और देश के बडे पत्रकार जो सभी आमजन को रात में भी आईना दिखाने का काम करते हैं को 16वें लोकसभा चुनाव में भी ये पता नहीं है कि वे किस और हैं। कई लोग तो सत्ता की चाल पर कलम को नृत्य करवा रहे हैं। पत्रकार या प्रोफेसर महोदय से मेरा आग्रह है