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सत्ता की चाल पर कलम का नृत्य

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फेसबुक पर लिखने पढने वाले वर्ग में कुछ ज्यादा ही समझदार लोग हैं। आजादी के 67 साल के बाद भी सत्ता की मलाई खाने के फेरे में पढे लिखे समझदार लोगों को आज भी पता नहीं है कि उसका पलडा किस और है। सिक्के की उछाल में ह ेड या टेल होता है। लेकिन फेसबुक पर ज्यादा समझदार लोग हेड को भी अपने पक्ष में और टेल को भी अपने पक्ष में मानते हैं। दोनों मामलों को अपने हित के हिसाब से देखते हैं और सोचते हैं किसमें कितना फायदा है। भारत में शुरूआत से ही फायदे और घाटे की राजनीति के हिसाब से लोगों में बदलाव होता रहा है। लेकिन कलम की धार हमेशा किसी पार्टी या संस्थान के पक्ष या विपक्ष में चली है। वर्तमान समय में कलम की धार कुंद तो हुई ही है साथ ही कलम का वार भी धारदार नहीं रहा। कलम चलाने वाले लेखक सत्ता की चाल पर थिरकते हैं। पूरे देश को ज्ञान का पाठ पढाने वाले प्रोफेसर और देश के बडे पत्रकार जो सभी आमजन को रात में भी आईना दिखाने का काम करते हैं को 16वें लोकसभा चुनाव में भी ये पता नहीं है कि वे किस और हैं। कई लोग तो सत्ता की चाल पर कलम को नृत्‍य करवा रहे हैं। पत्रकार या प्रोफेसर महोदय से मेरा आग्रह है

अपना बहुमूल्‍य वोट दो और लोकतंत्र को लूटोतंत्र बनाओ।

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देश में 16वें लोकतंत्र का पर्व लोकसभा चुनाव अब समाप्ति की अौर बढ रहा है। इससे पहले हमने 15 बार लोकसभा का चुनाव किया अौर अपने अपने उम्मीदवार को जीता कर गांव की गली से संसद तक पहुंचाया। ज िसको गांव से संसद तक पहुंचाया वह उम्मीदवार गांव छोडकर शहर की अौर चल दिया। हरबार की तरह इस बार भी महांपर्व में आमजनता अपना बहुमूल्य‍ वोट देकर लोकतंत्र को मजबूत कर रही है। उम्मीदवारों का चयन जाती,धर्म,समप्रदाय के आधार पर हो रहा है, वोट का प्रतिशत बढाकर लोकतंत्र को मजबूत कर रहे हैं, चुनावों में पार्टियों के द्रारा कुछ कर गुजरने की बात हो तो बिना नल के पानी लाने की बात, बिना सेक्स के बच्चे पैदा करना, अब पुरूष भी करेगा बच्चा पैदा, सभी परिवार को निशुल्क सालाना 25-25 लाख बिना काम किए हुए मिलेंगे, घर के सारे कामकाज के लिए रॉवर्ट की व्यवस्था प्रत्येक परिवार को सिर्फ पांच रूपए में, अब महिलाआें को आराम ही आराम इत्यादी और भी कई दावे हैं जो प्रत्येक चुनाव की तरह इसबार भी किया जा रहा है। लोकतंत्र के मुर्ख हमसभी मतदाता इस बार भी गुमराह होकर अपने मत को अधिकार समझकर किसी न किसी को अपना वोट दिया। सवाल वोट देने