मानवता से नाता तोड रहा मानव
मानवता से नाता तोड रहा मानव जीवन में बढते आधुनिकता और मैट्रो सिटी में मनुष्य के बदलते स्वभाव और परिवेश ने उसे पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। पहले एक मानव दूसरे मानव को मार रहा था, गाली दे रहा था, हर कोई उंचाई पर पहुंचना चाह रहा था, दूसरे को नीचा दिखा रहा था। लेकिन समय के बदलते हालात ने परिवेश को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। अब मनुष्य किसी को मार नहीं रहा है, गाली नहीं दे रहा है, उसे अच्छाई की औ र चलने को प्रेरित नहीं कर रहा है बल्कि उसे छोड अर्थात उसका त्याग कर रहा है। चाहे रिश्ते में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का माता पिता, पति पत्नी या जन्म देनेवाले नवजात बच्चे की हो। आज कोई उसे सुधारता नहीं बल्कि उसे त्याग देता है। उक्त धटना इन्दौर से संबंधित है। दिन गुरूवार पूरा इन्दौर झमाझम बारिश से सरोबोर था। तेज बारिश और हवा के झोंके ने तपती धरती की आग को जैसे बुझा दिया हो। सबसे अच्छा समय देख नवजात ऋषिका को उसके पिता ने मुसलाधार बारिश में बच्ची के मुंह में कपडा ठूसकर उसे मरने के लिए तिंछा फाल पर फेंक दिया। बाद में इस धटना में बच्ची की मां का भी हाथ बताया गया। अखबारी खबरों के आधार पर प