शिष्टाचार बना भ्रष्टाचार आज देश भर में भ्रष्टाचार का राज चल रहा है1समाज में भ्रष्टाचार को शिष्टाचार की संज्ञा दी जा रही है1घर आये मेहमान का जिस तरह चाय पानी देकर शिष्टाचार प्रकट किया जाता है, ठीक उसी तरह घूस- घपास देकर शिष्टाचार को जल से सीचने का काम किया जा रहा है,ताकि आने वाले भविष्य में यह परंपरा चलती रहे, ये भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है1 आज कुछ नेताओं ने इसे राजधर्म घोषित कर रखा है और इस शिष्टाचार के माध्यम से बहुत सारे लोग स्वयं के श्ष्टि होने का दावा प्रस्तुत कर रहे हैं और उसमें खरे भी उतर रहे हैं,साथ ही काफी लोग प्रयास में भी लगे हैं1भ्रष्टाचार आज तक बहुत सारे लोगो को अलंकृत कर चुका है जिसमें कुछ ख्याति प्राप्त लोग स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं1 खैर हाल में ही देश में नया परिवर्तन हुआ है1 (महामहिम) प्रणवमुखर्जी ने रायसीना की रेस जीत ली है1मुखर्जी ने देश को बधाई देते हुए कहा कि अब हम आतंकबाद और देश में व्याप्त गरीबी से दूगनी तेजी से लडेगें1 क्या आज तक हम इस मुद्धे पर नहीं लड रहे हैं? तो उत्तर आता है की हम तो इस मुद्धे पर आजादी के ब
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Showing posts from July, 2012
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आखिरकार राज्य सरकारों की सदबुद्धि आईृ......... ........युवाविहिन होने से बचा देश.... विगत कुछ महिनों में गुटखा पर प्रतिवंध लगाकर एक नेक काम की शुरूआत हुई1इसके लत में आकर शारीरिक क्षति से लेकर आर्थिक हानि कई परिवारों को उठाना पडा1 कैंसर तो होता ही है साथ में नपुंसकता को बढावा देता है 1जहां तक मेरा मानना है, इसे देशव्यापी कडा कानून बना कर आगे भी उत्पादन और वितरन पर रोक लगाई जाय1इन गुटखा फैिक्ट्रयों को आर्थिक सहायता देकर खाद्ध वस्तुओं का उत्पादन (विस्किट,नमकीन,बेकरी) की ओर प्रेरित करे 1ताकि उन इकाइयों में नियोजित श्रमिकों कों को अपने रोजी-रोटी के लिए भटकना न पडे 1 खासकर स्वास्थ्य मंत्रालय को इस ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है1 अगर देश को नशा मुक्त बनाना है तो पाठ़य-पुस्तकों में नशा के शिकार लोगों की कहानी बनाकर चित्रों के साथ प्रस्तुत की जाय जिससे वच्चों के मन-मस्तिषक पर प्रभाव पडे1आगे चलकर व नेक इन्सान व देशहित के लिए कार्य करे1 हमारा देश नशा मुक्त हो ............
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जीवन से हारकर आत्महत्या इन दिनों आत्महत्या की रोज नई नई खबरें कभी टेलीविजन चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज तो कभी प्रिंट मीडिया की सुर्खीयां बन रही है1आए दिन इस तरह के एक नहीं बल्कि कई घटनाएं सामने आ रही है,जिसे सुनकर या देखकर ऑखों में आंसू या शरीर कांप उठती है, और कई तरह के प्रश्न मन मस्तिषक में आने लगते हैं1आखिर क्या हुआ होगा उस व्यक्ति के साथ जिसने मजबुर होकर आत्महत्या का कदम उठाया और अपनी पुरी इहलीला समाप्त कर ली1 भारत में आत्महत्या की धटनाओं में काफी वृद्धि हुई है1विश्व के कुल आत्महत्या का 20 प्रतिशत भारत में होता है1देश में आत्महत्या के मामले में उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत में लोग ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं1 समाज के प्रत्येक वर्ग में एक दूसरे से आगे निकलने की होड में अपने आप को पुरी तरह से न्योछावर करने वाला व्यक्ति असफल होता है तो आत्महत्या,धरेलू मामलों में आत्महत्या,दो प्रेमियों का विछडना तो आत्महत्या,कैरियर से निराश तो आत्महत्या इत्यादि कई एैसे मामले हैं जिससे निराश होकर व्यक्ति अपने शरीर और दो गज कफन लेकर गहरी नींद में सो जाता है 1
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राजनीति और दंगा ........ राजनीति और दंगा का संबंध बहुत पुराना हैा समझ नहीं आता असम में जातीय दंगो का दोष किस पर मढा जाय,राजनीतिक पार्टियों पर , नेपाल से आये प्रवासी लोगों पर या असम के स्थानीय लोगों पर, जिसने जातीय दंगे का नाम जोडकर असम की छवि को तार तार करने की कोशिश की हैा किसी भी दंगे का संबंध किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से होना लाजिमी हैा वोट बैंक की राजनीति ने ही असम को जलाने का काम किया है,कितने घरों को बेघर कर दिया है, अब इनकी वेदना को शान्त करने के लिए भी राजनीतिक तरीके अपनाये जा रहे है, जिससे पार्टियों का वोट बैंक भी बन रहा है और आम लोगों का साथ भी मिल रहा है 1 असम में 1971 के बाद से ही बंगलादेशी घुसपैठियों का आना शुरू हो गया था जिसे असम सरकार ने बोट बैंक के चलते स्थानीय नागरिकता प्रदान कर दी 1 इस कारण से भी स्थानीय नागरिकों में सरकार और प्रवासी लोगों केखिलाफ आक्रोश बढता गयाा असम में जातीय आग जलती रही और महामहिम के लिए 21 तोपें आग उगलती रहीा अब तक असम से 1,50,000 लोग पलायन कर चुके हैंा बांगलादेश से आए घुसपैठियों ने स्थानीय नागरिकों के कई मकानों औ
श्री गणेश
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न्यू मीडिया के बढते आयाम और इसके प्रभाव को देखते हुए कोई भी व्यक्ति इससे अछुता नहीं रह सकता हैा ऐसे में मीडिया का छात्र होने के नाते सामाजिक धटनाओं पर विभिन्न विचारों के संगम हेतु उपर्युक्त शीर्षक से इस दिशा में अपना कदम रखा हैा आगे कोशिश यही रहेगी कि अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आपकी उम्मीदों पर खडा उतरूं आपके विचार आमंत्रित हैं