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Showing posts from 2013

वर्धा की आखिरी रात

मुसाफिर हैं हम भी, मुसाफिर हो तुम भी फिर किसी मोड पर मुलाकात होगी। आज मेरा वर्धा की आखिरी रात है कल शाम को जाना है यह कहते हुए दुख भी है कि मेरा चयन इस विश्वविद्यालय में नहीं हुआ और खुशी भी की एमफिल के लिए मेरा चयन देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर में हो गया है। अब मुझे जाना ही होगा। वर्धा में कैसे दो साल बीता पता ही नहीं चला। सब समय का चक्र है। किसी भी छात्र को जब संस्थान छोडकर जाना होता है तो यह उसके लिए सबसे बुरा दिन होता है। जब व छात्र वहां अध्ययन करना चाह रहा हो। मैंने अपना पूरा सामान समेट लिया है। यहां कुछ नहीं छोडा हूं लेकिन ऐसा लग रहा है कि मैं यहां बहुत कुछ छोड कर जा रहा हूं। हमेशा यह डर लग रहा है कि कहीं मैं कुछ भूल न जाउं। मैं खुश हूं कि मैं कोई सामान नहीं बल्कि दो साल वर्धा में अपने मित्रों, अध्यापकों, अग्रज और अनुजों के साथ बिताए संबंधों को छोड कर जा रहा हूं। जिसकी नींव बहुत मजबूत है। एक नई उर्जा और जोश के साथ आज मैं अपने कदमों को जिस दिशा में बढा रहा हूं यह सोच मुझे वर्धा विश्वविद्यालय से ही मिला। मैं आभारी हूं विश्वविद्यालय के सी नियर और जूनियर छात्रों, अपने सहपाठियों

संचार शोध

मनुष्य स्वभातः एक जिज्ञासु प्राणी है। आदि काल से ही वह प्रकृति , देश दुनिया , समाज एंव ब्रहमांड के बारे में जानने को उत्सुक रहा है। अपना , अपने समाज , अपने व्यवहार का या सामाजिक घटनाओं का अध्ययन मानव के लिए रोचक होता है। शोध मानव ज्ञान का एक अविभाज्य अंग है। जैस कि '' हेरिंग '' ने 'Reserch for public policy' में लिखा है कि जिस प्रकार सब्जी में नमक का महत्व है उसी प्रकार शोध का जीवन में महत्व है। आज मानव जीवन में जो कुछ भी है सब शोध एंव अनुसंधान का ही प्रतिफल है , अनवरत शोध एंव अनुसंधानों की सहायता से ही समाज निरंतर गतिशील व विकासशील रहा है। इस गतिशीलता को बनाएं रखने के लिए शोध मनमाने ढंग से नही किया जा सकता है। निरीक्षण-परीक्षण के प्रयोग पर अधारित वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करने पर ही सत्य को खोजा जा सकता है , सामाजिक घटनाओ पर संचार प्रभाव के संबंध में सत्य की खोज ही संचार शोध है। जब हम संचार शोध की चर्चा करते है तो इसका तात्पर्य मुख्य रूप से जनसंचार प्रक्रिया एंव संचार के प्रभावो का वैज्ञानिक अध्ययन करना है। जिससे किसी तथ्यात्मक निष्कवर्ष पर प

जीवन में असफलता का मानक आत्‍महत्‍या

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साक्षात्कार

साक्षात्कार              साक्षात्कार इंटरव्यू भेंटवार्ता सब पर्यायवाची हैं। आजकल समाचार अथवा अन्य   जानकारी पाने के लिए साक्षात्कार एक प्रमुख माध्यम है। इसका प्रमुख उद्देश्य   समसामयिक विषयोंए घटनाओंए ,  समस्याओं के संबंध में पाठकों , श्रोताओं या ट्रष्टाओं की जिज्ञासापूर्ति हेतु सूचनाओं का संग्रह करना है। साक्षात्कार द्वारा किसी महत्वपूर्ण व्यक्तिए विषय विशेषज्ञ , विशिष्ट अधिकारी से अपेक्षित सूचनाएँ इकट्ठी की जा सकती है। कई बार सामान्य या आम लोगों के साक्षात्कार भी लिये जाते हैं। साक्षात्कार के   माध्यम से सीधा संपर्क कर सही सूचना प्राप्त की जाती है। व्यक्ति विशेष की व्यक्तिगत राय प्राप्त की जाती है , तथ्यों की पुष्टि हो सकती है। एक ही विषय पर विभिन्न लोगों के विचार पाए जा सकते हैं। साक्षात्कार से समाचार.पत्रों की निजी विश्वसनीयता उत्पन्न होती है। विद्वानों , विशेषज्ञों के साथ.साथ   आम जनता से बात.चीत कर उसकी राय भी जानने का प्रयास होता है।    साक्षात्कार से प्राप्त सामग्री समाचारों के लिए कच्चे माल का कार्य करती है। साक्षात्कार के आधार पर लेखए टिप्पणी आदि भी प्र

स्टूडियो निर्देश

स्टूडियो निर्देश किसी भी स्टूडियो में डायरेक्टर या प्रोड्यूसर और फ्लोर मैनेजर के बीच में एक कांच की दीवार होती है। इस दीवार के दोनों ओर बैठे व्यक्ति एक दूसरे को देख तो सकते हैं लेकिन सुन नहीं सकते। कई बार दूरी अधिक होने के कारण देखने में भी कठिनाई होती है। इसीलिए फ्लोर मैनेजर कैमरे के सामने हाथ से इशारा कर डायरेक्टर से कम्युनिकेशन करता है। सामान्यतः स्टूडियो में उपयोग होने वाला टाकबैक सिस्टम प्रोड्यूसरए डायरेक्टर और फ्लोर पर कार्य करने वाले लोगों को आपस में जोड़ता है। डायरेक्टर द्वारा दिए गए निर्देश फ्लोर मैनेजर तक इसी सिस्टम द्वारा पहुंचते हैंए लेकिन कैमरे के सामने बैठे एंकर को निर्देशित करने का काम फ्लोर मैनेजर द्वारा किया जाता है। जब रिकार्डिंग शुरू होने वाली होेती है उस दौरान फ्लोर मैनेजर एंकर को इशारा कर तैयार रहने का निर्देश देता है।                 समाचार प्रसारण के समय सबसे पहले आवाज को चेक किया जाता है। वाचक लेपल माइक लगाने तथा कुर्सी पर ठीक तरह से बैठ जाने के बाद कैमरे मे देखकर कुछ बोलता है ताकि उसके स्वर के स्तर को देखा और संयोजित किया जा सके। यह कार्य

HAM Radio हैम रेडियो

HAM Radio हैम रेडियो         जब भूकंप आदि बड़ी आपदाएँ आती हैं , तो पल भर में सब कुछ तहस-नहस हो जाता है। ऐसी स्थिति में संचार के सफल साधन के रूप में हैम रेडियो काम आता है। 26 जनवरी , 2001 को गुजरात में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान यह संचार माध्यम बखूबी काम आया। अब वह दिन दूर नहीं , जब घर-घर नवस्थापित हैम रेडियो स्टेशन होंगे और उन पर देश-विदेश के दूसरे हैम रेडियो सैट्स से वार्तालाप हुआ करेगा। सैलाब , भूकंप आदि अनेक प्राकृतिक आपदाओं के समय हैम रेडियो विश्व भर में बेहतर संचार का कारगर माध्यम सिद्ध हुआ है। विश्व में हैम पद्धति भी उतनी ही पुरानी है जितनी पुरानी रेडियो संचार की सामान्य प्रणाली है। हैम रेडियो संचार की सामान्य प्रणाली है। हैम रेडियो पर विभिन्न केन्द्रों के प्रसारण भी सुने जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त हमारी आवाज दूसरे हैम प्रसारकों तक पहुंचती है। रेडियो तरंगों के क्षेत्र में तीन महारथी बहुत प्रसिद्ध थे- हट्र्ज , आर्मस्ट्रांग तथा मार्कोनी। इन्हीं तीन वैज्ञानिकों के नाम के प्रथमाक्षरों- एच , ए , तथा एम को मिला हैम शब्द बना है। रेडियो के लिए शॉर्ट वेव बैंड में 1.2 से

वर्धा में गांधी और शराब

वर्धा में गांधी और शराब  सामाजिक एवं राजनीतिक दृष्टि से वर्धा सर्व-श्रेष्ठ स्थानो मे से एक है । देश को आजादी दिलाने  में महात्मा गंघी का प्रमुख योगदान रहा । अहिंशा के रास्ते पर चल कर हमे  आजादी मिली सेवाग्राम स्थित बापू कुटी आज भी एक अहिंशा के प्रतीमूर्ति के तौर पर अवस्थित है । सेवाग्राम आश्रम में देश - विदेश के सैलानी हर रोज आते रहते हैं । आज जनमाध्यमों के प्रयोग से यह स्थान दुनिया भर में लोकप्रिय हो चुका है । वर्धा से सटे हुए पवनार आश्रम है जहां आचार्य विनोबा भावे की कर्म भूमि है । भूदान आंदोलन के शिखर पुरुष पर गंदी जी के अहिंशा का पूर्ण प्रभाव था । सामाजिक हित के लिए ही इन महा पुरुषों ने वर्धा के लिए जो काम किया वो सराहनीय है । इन महा पुरुषों पर आध्यात्मिक प्रभाव भी ज्यादा था । शसत्रों में वर्णित समाज कल्याण को इनहोने आगे बढ़ाया । समाज हित के लिए इनका नाम स्वरनाक्षरों में अंकित है । बापू उस काल के सर्व श्रेष्ठ मास लाइन कम्यूनिकेटर थे। जिंका प्रभाव समाज के हर वर्ग तक पाहुचा इसमे धर्म और भाषा की किसी प्रकार की दीवार नहीं थी । जीवन के अंतिम वर्षों में गांधी जी का ज्यादा समय वर्

विज्ञापन का इतिहास अर्थ,परिभाषा,प्रकार एवं आचार संहिता

विज्ञापन का इतिहास अर्थ,परिभाषा,प्रकार एवं आचार संहिता  विज्ञापन सामान्यतः किसी वस्तु विधा या सेवा से उपभोक्ताओं से जानकारी करवाता है। उनमे खरीदने की इच्छा जागृत करता है अथवा अनीक उपलाभ वस्तुओं में से एक का चयन करने में मदद करता है और किसी वस्तु के ब्रांड विशेष के प्रति उनकी प्रतिबद्धता बढ़ता है। कभी-कभी ऐसा लगता है की विज्ञापन हमारे जीवन मे सहायक की भूमिका तो निभा ही रहा है किन्तु कुछ मामलों में वह ग्राहकों या ऊपभोक्ताओं को आदेश देने लगता है। यानि मस्तिष्क पर इतना गहरा प्रभाव पड़ता है की किसी ब्रांड की उपभोक्ता को आदत पड़ जाती है। विज्ञापन के सार्वभौमिक प्रभाव के परिणामस्वरूप में हम यह तो जानते हैं की विज्ञापन उत्पादकों द्वारा तैयार उत्पादों की जानकारी ग्राहकों या उपभोक्ताओं तक पहुंचाकर उन्हें सही वस्तु खरीदने में मदद करता है किन्तु उसकी समूची परिभाषा प्रस्तुत करना इतना सरल कार्य नहीं है फिर भी इसे समझना आवश्यक है। विज्ञापन शब्द में ज्ञापन , जिसका अर्थ है सूचना या जानकारी देने के पूर्व वि , उपसर्ग जोड़कर बना है जिसका अर्थ है किसी वस्तु की विशेष जानकारी देना। विज्ञापन अ