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Showing posts from October, 2015

डा. कठेरिया के नेतृत्व में वर्धा शहर के मोबाइल यूजरों पर हुआ शोध

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मेमोरी लॉस के शिकार हो रहे मोबाइल उपभोक्ता, मानवीय व्यवहार में बदलाव का कारण बन रहे मोबाइल करीब 80 प्रतिशत लोगों का मानना है कि मोबाइल उपयोग करने से समाज में अपराधिक घटनाओं में वृद्धि हो रही है। अपराधिक घटनाओं के षड़यंत्र रचने में मोबाइल तकनीक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है यह प्रतिशत तेजी से बढ़ा है। वहीं 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि मोबाइल क्रांति से सामाजिक सशक्तिकरण की गति भी तेज हुई है।  स्वास्थ्य मंत्रालाय द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में विभिन्न मंत्रालयों की समिति आईएमसी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा था कि मोबाइल मानव शरीर पर कई हानिकारक प्रभाव डाल रहा हैं।  डॉ. धरवेश कठेरिया वर्धा, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के संचार एवं मीडिया अध्ययन केंद्र के सहायक प्रोफेसर डा. धरवेश कठेरिया के नेतृत्व में वर्धा शहर के प्रतिभागियों पर ‘मोबाइल उपयोगकर्ता का मानवीय व्यवहार पर प्रभाव’ विषय पर किए गए शोध में कई आंकड़े चैंकाने वाले सामने आए। शोध के मुताबिक मोबाइल मानवीय व्यवहार में बदलाव का सबसे महत्वपूर्ण कारण बन रहा है। मोबाइल का ज्यादा उपयोग करने वाले लोग अपनी याद

डाॅ. अर्जुन तिवारी जी का साक्षात्‍कार।

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डाॅ. अर्जुन तिवारी जी का साक्षात्‍कार। भडास पर देखने के लिए क्लिक करें।  http://bhadas4media.com/interview/7133-arjun-tiwari डॉ. अर्जुन तिवारी  भारत में पत्रकारिता शिक्षा की नींव और पत्रकारिता शिक्षा को दिशा देने में डॉ. अर्जुन तिवारी की भूमिका महत्वपर्ण रही है। सही मायने में इन्हें पत्रकारिता गुरु कहा जाय तो गलत नहीं होगा। ‘‘हिन्दी पत्रकारिता का उदभव और विकास’’ पर पीएच.डी. करने के बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब तक पत्रकारिता की 20 से ज्यादा पुस्तकें लिखने वाले डॉ. तिवारी को नामित पुरस्कार, सम्पादन पदक, बाबूराव विष्णु पराड़कर पुरस्कार और पत्रकारिता-भूषण साहित्य गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हाल में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने उन्हें तीन अगस्त 2015 को लोक साहित्य में महापंडित राहुल सांकृत्यान’’ पुरस्कार देने की घोषणा की है। यह पुरस्कार 14 सितंबर को दिया जाएगा। डॉ. अर्जुन तिवारी भाटपाररानी, देवरिया के मूल निवासी हैं। 1965 में भाटपाररानी से शैक्षणिक कार्य की शुरुआत की। इसके बाद 1994 में काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष हुए और 2002 में सेवानिवृत्त

विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन

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एक नजर विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन के आंकडों पर ... विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन भारत में नागपुर,दिल्‍ली के बाद भोपाल में दसवां विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन का अयोजन किया गया। किसी ने इसे संघ का सम्‍मेलन बताया तो किसी ने इसे साहित्‍य से परे बताया। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों से आए छात्र छात्राओं ने हिन्‍दी सम्‍मेलन का आनंद उठाते हुए एक छात्रों ने तीन दिन में औसतन 1264 तस्‍वीर खींचवाएं हैं। विद्यार्थियों के साथ साथ शिक्षकों पर गौर करें तो ये आंकडे और भी चौकाने वा ले हैं। औसतन एक शिक्षक ने तीन दिनों के सम्‍मेलन में 834 तस्‍वीर खींचवाया है।  मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह के साथ तीन दिनों में 2600 लोगों ने फोटो खींचवाया है। हिन्‍दी की रोटी बेलने वालों की उपस्थिति अच्‍छी खासी रही और हिन्‍दी भााषा की रोटी खाने वाले नदारत रहे।   विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन में हिन्‍दी को इज्‍जत दिलाने के लिए गए बडे साहित्‍यकार झोला न मिलेने पर नाराजगी दिखाई और कहा कि यह हिन्‍दी सम्‍मेलन नहीं झोला सम्‍मेलन है।   कई लोगों ने तारीफों के पुल बांधते हुए हिन्‍दी सम्‍मेलन की व्‍