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Showing posts from 2012

21 वीं सदी का स्ट्रिंगर और उसकी चुनौतियां

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देश के अंदर परिस्थितियां - मनमोहन सिंह

स्‍वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने भाषन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि देश के अंदर कई ऐसी परिस्थितियां बनी हैं, जो हमारे आर्थिक विकास में बाधा पहुंचा रही हैं, यह बात तो कांग्रेस के मंत्री आजादी के बाद से बोल रहे हैं गांधी जी ने सही कहे थे, हमें आजादी मिल गई अब कांग्रेस पार्टी को खत्‍म कर देना चाहिए,अगर ये पार्टी उस समय खत्‍म हो जाती तो आज देश का ये हाल नहीं होता जिसके सेनापति  देश की   परिस्थितियां को खत्‍म नहीं कर उसे उजागर करने में अपनी भलाई समझते हैं......5 साल में हर धर में बिजली पता नहीं 5 साल कब खत्‍म होगी और सरकार सभी को बिजली देगी, देश के 65  साल के शासन काल में 50 साल से ज्‍यादा सत्‍ता कांग्रेस के हाथ में रही है फिर भी हमारा देश विश्‍व के किसी सूची में नंवर वन नहीं है, देश में व्‍याप्‍त,गरीवी,भ्रष्‍टाचार जातिवाद का प्रचार कोग्रेस सरकार की देन है, कभी कभी तो हमें  लगता कि हम आजाद नहीं है,ये आजादी किस काम की जिसमें हम अपनों में समेटे जा रहे हैं, आम लोगों को एक दूसरे से अलग किया जा रहा है,जब तक ये सरकार रहेगी देश में परिस्थितियां ही परिस्थितियां  होगी                 

लोकसभा चुनाव मे बढ़ती क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका

लोकसभा चुनाव मे बढ़ती क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका देश मे अगले लोकसभा चुनाव 2014 मे होने जा रहे हैं , और सभी राजनीतिक   पार्टियों ने तैयारी   अभी से शुरू कर दी हैं! और इस बार गठबंधन की सरकार से भी इंकार नहीं किया जा सकता है! अभी लोकसभा चुनाव के 22 माह बाँकी हैं और सरकार किसकी होगी ये तो जनता तय करेगी ! मगर हाँ ये लोकसभा चुनाव मे क्षेत्रीय पार्टीयां   बड़ी ताकत बनकर सामने आ रही है   जो इस बार सरकार बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी   वही आज आम जनता जिस तरह के माहौल मे जी रह रही है उससे तो सरकार के प्रति गुस्सा और रोस साफ झलक रहा है! क्योंकि आज चारो ओर भ्रष्टाचार , घोटाले , महंगाई , बेरोजगारी , गरीबी बढ़ रही है और इसने आम जनता का जीना मुहाल कर दिया है इन्हिं बातो का नतीजा यूपीए सरकार को उत्तरप्रदेश सहित चार राज्यो मे झेलना पढ़ा है! चुनाव में अभी भी 22 मांह बाँकी है , प्रधानमंत्री जी आगर इस समय में आप सुधार कर सकते है तो गरीबी , महँगाई , भ्रष्टाचार को समाप्त करके लोगो को राहत दे! क्योकि जनता को राहत चाहिए , किसानो की आत्महत्या को बंद होनी चाहिए , लोगो को दो वक़्त की रोटी मिल

टीम अन्ना ने राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की है.

टीम अन्ना ने   राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की है . पिछले नौ दिनों से अनशन पर बैठे टीम अन्ना के मुख्य सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आंदोलन पहले चरण से निकलकर अब दूसरे चरण को पहुंच गया है. अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के मुख्य कर्ता-धर्ता अरविंद केजरीवाल का कहना था, "अब सरकार को गिराने का वक्त आ गया है. हमारा दल पूरे देश का दौरा करेगा और जनता हमारे नेताओं का चुनाव करेगी. लेकिन अगर सरकार लोकपाल क़ानून पास कर देती है तो हमें राजनीति में आने की कोई ज़रूरत नहीं होगी." अरविंद केजरीवाल और उनके कई साथी 23 जुलाई से ही अनशन पर मौजूद थे. लेकिन सरकार ने उनसे बातचीत की कोई पहल नहीं की थी.  गुरूवार को अरविंद केजरीवाल का स्वास्थ्य काफी गिर जाने की ख़बरें थीं. शाम के समय अन्ना हज़ारे ने घोषणा करते हुए कहा कि अगर जनता की मर्जी होगी तो वो एक राजनीतिक दल का गठन करेंगे.  केजरीवाल ने कहा कि वो सरकार के सामने नहीं झुके हैं बल्कि अब संसद के भीतर जाकर पूरी व्यवस्था से लडेंगे और उसमें बदलाव की कोशिश करेंगे

क्या अन्ना को राजनीतिक पार्टी बनानी चाहिए ?

क्या अन्ना को राजनीतिक पार्टी बनानी चाहिए ? आज देशवासियों के सामने यह बड़ा और अहम सवाल सामने आया है कि क्या अन्ना को राजनीतिक पार्टी बनानी चाहिए ? भ्रष्टाचार के निवारण हेतु ‘ जन-लोकपाल ’ के मुद्दे पर पिछले साल से अनशन व शांतिपूर्ण आंदोलन द्वारा सरकार से टकराव करती आ रही टीम अन्ना सरकार पर   बेअसर साबित हो रही है । अन्ना और उनके सहयोगियों को अपनी असफलता का पूर्णत: एहसास हो गया है । आंदोलन का दूसरा चरण जो कि 25 जुलाई से शुरू होकर अनिश्चितकालीन होना था , 2 अगस्त की शाम से समाप्ति की ओर अग्रसर होता दिखा । अनशन 3अगस्त की शाम समाप्त होना है । अनशन के 9वें दिन टीम अन्ना ने लोगों से अनशन समाप्त करने की अपील कर आंदोलन को ‘ टर्निंग पॉइंट ’ पर ला खड़ा कर दिया ……………..                                                                               -निलेश पढिए पूरा लेख www.nilnishu.blogspot.com पर
 शिष्‍टाचार  बना  भ्रष्‍टाचार आज  देश  भर में भ्रष्‍टाचार का  राज चल रहा है1समाज में भ्रष्‍टाचार को शिष्‍टाचार की संज्ञा दी जा रही है1घर आये मेहमान का जिस तरह चाय पानी देकर शिष्‍टाचार प्रकट किया जाता है, ठीक उसी तरह घूस- घपास देकर  शिष्‍टाचार को जल से सीचने का काम किया जा रहा है,ताकि आने वाले भविष्‍य में यह परंपरा चलती रहे, ये भ्रष्‍टाचार कोई  नई बात नहीं है1 आज कुछ नेताओं ने इसे राजधर्म घोषित कर रखा है और इस शिष्‍टाचार के माध्‍यम से बहुत सारे लोग स्‍वयं के श्ष्टि होने का दावा प्रस्‍तुत कर रहे हैं और उसमें खरे  भी उतर रहे हैं,साथ ही काफी लोग प्रयास में भी लगे हैं1भ्रष्‍टाचार आज तक बहुत सारे लोगो को अलंकृत कर चुका है जिसमें कुछ ख्‍याति प्राप्‍त लोग स्‍वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं1     खैर हाल में ही देश में नया परिवर्तन हुआ है1 (महामहिम) प्रणवमुखर्जी ने रायसीना की रेस जीत ली है1मुखर्जी ने देश को बधाई देते हुए कहा कि  अब हम आतंकबाद और देश में व्‍याप्‍त गरीबी से दूगनी तेजी से लडेगें1 क्‍या आज तक हम इस मुद्धे पर नहीं लड रहे हैं? तो उत्‍तर  आता है की हम तो इस मुद्धे पर आजादी के ब
 आखिरकार राज्‍य सरकारों की सदबुद्धि आईृ......... ........युवाविहिन होने से बचा देश.... विगत कुछ महिनों में गुटखा  पर  प्रतिवंध लगाकर एक नेक काम की शुरूआत हुई1इसके लत में आकर शारीरिक क्षति से लेकर आर्थिक हानि कई परिवारों को उठाना पडा1 कैंसर तो होता ही है साथ में नपुंसकता को बढावा देता है 1जहां तक मेरा मानना है, इसे देशव्‍यापी कडा कानून बना कर आगे भी उत्‍पादन और वितरन पर रोक लगाई जाय1इन गुटखा फैिक्‍ट्रयों को आर्थिक सहायता देकर खाद्ध वस्‍तुओं का उत्‍पादन (विस्‍किट,नमकीन,बेकरी) की ओर प्रेरित करे 1ताकि उन इकाइयों में नियोजित श्रमिकों कों  को अपने रोजी-रोटी के लिए भटकना न पडे 1 खासकर स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय को इस ओर अधिक ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है1 अगर देश को नशा मुक्‍त बनाना है तो पाठ़य-पुस्‍तकों में नशा के शिकार लोगों की कहानी बनाकर चित्रों के साथ प्रस्‍तुत की जाय जिससे  वच्‍चों के मन-मस्तिषक पर प्रभाव पडे1आगे चलकर व नेक इन्‍सान व देशहित के लिए कार्य करे1 हमारा देश नशा मुक्‍त हो ............                                                                                          
जीवन  से हारकर आत्‍महत्‍या इन दिनों आत्‍महत्‍या की रोज नई नई खबरें कभी टेलीविजन चैनलों की ब्रेकिंग न्‍यूज तो कभी प्रिंट मीडिया की सुर्खीयां बन रही है1आए दिन इस तरह के एक नहीं बल्कि कई घटनाएं सामने आ रही है,जिसे सुनकर या देखकर ऑखों में आंसू या शरीर कांप उठती है, और कई तरह के प्रश्‍न मन मस्तिष‍क में आने लगते हैं1आखिर क्‍या हुआ होगा उस व्‍यक्ति के साथ जिसने मजबुर होकर आत्‍महत्‍या का कदम उठाया और अपनी पुरी इहलीला समाप्‍त कर ली1 भारत में आत्‍महत्‍या की धटनाओं में काफी वृद्धि हुई है1विश्‍व के कुल आत्‍महत्‍या का 20 प्रतिशत भारत  में  होता है1देश में आत्‍महत्‍या के मामले में उत्‍तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत में लोग ज्‍यादा आत्‍महत्‍या कर रहे हैं1 समाज के प्रत्‍येक वर्ग में एक दूसरे से आगे निकलने की होड में अपने आप को पुरी तरह से  न्‍योछावर करने वाला व्‍यक्ति असफल होता है तो आत्‍महत्‍या,धरेलू मामलों में आत्‍महत्‍या,दो प्रेमियों का विछडना तो आत्‍महत्‍या,कैरियर से निराश तो आत्‍महत्‍या इत्‍यादि कई एैसे मामले हैं जिससे निराश होकर  व्‍यक्ति अपने शरीर और दो गज कफन लेकर गहरी नींद में सो जाता है 1
राजनीति और दंगा ........ राजनीति और दंगा का संबंध बहुत पुराना हैा  समझ नहीं आता असम में जातीय दंगो का दोष किस पर मढा जाय,राजनीतिक पार्टियों पर , नेपाल से आये प्रवासी लोगों पर या असम के स्‍थानीय लोगों पर, जिसने जातीय दंगे का नाम जोडकर असम की छवि को तार तार करने की कोशिश की हैा किसी भी दंगे का संबंध किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से होना लाजिमी हैा  वोट बैंक की राजनीति ने ही असम को जलाने का काम किया है,कितने घरों को बेघर कर दिया है, अब इनकी वेदना को शान्‍त करने के लिए भी राजनीतिक तरीके अपनाये जा रहे है, जिससे पार्टियों का वोट बैंक भी बन रहा है और आम लोगों का साथ भी मिल रहा है 1 असम में 1971 के बाद से ही बंगलादेशी घुसपैठियों का आना शुरू हो गया था जिसे असम सरकार ने बोट बैंक के चलते स्‍थानीय नागरिकता प्रदान कर दी 1 इस कारण से भी स्‍थानीय नागरिकों में सरकार और प्रवासी लोगों केखिलाफ आक्रोश बढता गयाा असम में जातीय आग जलती रही और महामहिम के लिए 21 तोपें  आग उगलती रहीा अब तक असम से 1,50,000 लोग  पलायन कर चुके हैंा बांगलादेश से आए घुसपैठियों ने स्‍थानीय नागरिकों के कई मकानों औ

श्री गणेश

न्‍यू मीडिया के बढते आयाम और इसके प्रभाव को देखते हुए कोई भी व्‍यक्ति इससे अछुता नहीं रह सकता हैा ऐसे में मीडिया का छात्र  होने के नाते सामाजिक धटनाओं पर  विभिन्‍न विचारों के संगम हेतु उपर्युक्‍त शीर्षक से इस दिशा में अपना कदम रखा हैा आगे कोशिश  यही  रहेगी कि अपने लक्ष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए आपकी उम्‍मीदों पर खडा उतरूं आपके विचार आमंत्रित  हैं