भाजपा में शामिल हुई किरण बेदी।
किरण बेदी के बीजेपी में जुडने से कुछ लोग खासा नाराज हैं तो कुछ लोग अपनी भडास सोशल मीडिया पर निकाल रहे हैं। कहा जाता है बहती गंगा में कौन हाथ नहीं धोना चाहता है। जब हमलोग हिन्दू से मुस्लिम, मुस्लिम से हिन्दू, सिक्ख,ईसाई बन सकते हैं तो किरण बेदी बीजेपी में शामिल क्यों नहीं हो सकती है? किसी की धर वापसी होती है, किसी को पार्टी ज्वाईन करने से देश सेवा करने का मोका मिलता है। ऐसे भी कहा जात है राजनीति और राजनेता का कोई धर्म नहीं होता है। फिर भी किरण बेदी को लेकर कई सवाल हैं। दूध के धुले कोई भी लोग राजनीति में नहीं है जो यह कह सकते हैं कि मैं पूरी तरह से पाक हूं। राजनीति में आरोप का साथ चोली अौर दामन का है।
कहा जाता है समय के साथ भाई-बहन,पति-पत्नी,भाई-भाई ,बाप-बेटा का रिश्ता बदल जाता है, किरण बेदी ने तो पार्टी का पाला बदला है। जिस तरह से बुखार के लिए अलग,खांसी के लिए अलग दबा की जरूरत होती है ठीक उसी तरह से किरण बेदी को आज नरेन्द्र मोदी के दबा की जरूरत है जिसके माध्यम से वह दिल्ली के मुख्यमंत्री तक की यात्रा सफर कर सकती है। मेरा मानना है कोई भी राजनेता जनता के लिए नहीं बल्कि अपने लिए जीता है।
हाल के कुछ महीनों में गौर करें तो मीडिया ने भी बेदी जी को ज्यादा तब्बजो देना बंद कर दिया था एेसे में बीजेपी एक माध्यम था उनके पास जिसके माध्यम से व फिर से जनता तक पहुंच सके।
देश की जनता मुर्ख है जो कभी नरेन्द्र मोदी कभी राहुल गांधी तो कभी अरबिंद केजरीवाल,मुलायम,लालू और नीतीश को अपना मसीहा मान लेती है। मुझे लगता है किरण बेदी के जगह कोई भी नेता होता तो वह आज भाजपा के साथ खडा होता यह सत्य है। सभी को पहले अपने लंगोट की फिक्र होती है बाद में जनता दिखाई पडती है। मेरा यह भी मानना है कि किरण बेदी पहले भी बीजेपी की थी आज भी है अौर रहेगी भी क्योंकि बेदी जी कांगेस के खिलाफ नारा बुलंद कर रही थी बीजेपी के खिलाफ नहीं। बीजेपी सत्ता में आ गई तो आज किरण बेदी खुशी के साथ देश सेवा के लिए बीजेपी में आ गई। सवाल है क्या देश सेवा के लिए भी बीजेपी की सदस्यता लेनी होगी?
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