जीवन  से हारकर आत्‍महत्‍या
इन दिनों आत्‍महत्‍या की रोज नई नई खबरें कभी टेलीविजन चैनलों की ब्रेकिंग न्‍यूज तो कभी प्रिंट मीडिया की सुर्खीयां बन रही है1आए दिन इस तरह के एक नहीं बल्कि कई घटनाएं सामने आ रही है,जिसे सुनकर या देखकर ऑखों में आंसू या शरीर कांप उठती है, और कई तरह के प्रश्‍न मन मस्तिष‍क में आने लगते हैं1आखिर क्‍या हुआ होगा उस व्‍यक्ति के साथ जिसने मजबुर होकर आत्‍महत्‍या का कदम उठाया और अपनी पुरी इहलीला समाप्‍त कर ली1 भारत में आत्‍महत्‍या की धटनाओं में काफी वृद्धि हुई है1विश्‍व के कुल आत्‍महत्‍या का 20 प्रतिशत भारत  में  होता है1देश में आत्‍महत्‍या के मामले में उत्‍तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत में लोग ज्‍यादा आत्‍महत्‍या कर रहे हैं1 समाज के प्रत्‍येक वर्ग में एक दूसरे से आगे निकलने की होड में अपने आप को पुरी तरह से  न्‍योछावर करने वाला व्‍यक्ति असफल होता है तो आत्‍महत्‍या,धरेलू मामलों में आत्‍महत्‍या,दो प्रेमियों का विछडना तो आत्‍महत्‍या,कैरियर से निराश तो आत्‍महत्‍या इत्‍यादि कई एैसे मामले हैं जिससे निराश होकर  व्‍यक्ति अपने शरीर और दो गज कफन लेकर गहरी नींद में सो जाता है 1
            सबसे ज्‍यादा आत्‍महत्‍या 71 प्रतिशत  व्‍यक्तिगत कारणों से होता है, 64 प्रतिशत लोग धरेलू मामलों से तंग आकर और 38 प्रतिशत लोग 30 साल के अन्‍दर आत्‍महत्‍या कर लेते हैं 1 इसमें ज्‍यादातर युवा होते हैं,जो अपने सपनों को  उँची उडान देते देते अपनी आंखे बंदकर सदा दुनिया से चले जाते हैं  ओर उनके सारे अरमान हवा हो जाते हैं 1

Comments

Popular posts from this blog

विज्ञापन का इतिहास अर्थ,परिभाषा,प्रकार एवं आचार संहिता

जनसंचार का सबसे प्रभावी माघ्यम है सिनेमा।

संचार शोध