विज्ञापन का इतिहास अर्थ,परिभाषा,प्रकार एवं आचार संहिता
विज्ञापन का इतिहास अर्थ,परिभाषा,प्रकार एवं आचार संहिता विज्ञापन सामान्यतः किसी वस्तु विधा या सेवा से उपभोक्ताओं से जानकारी करवाता है। उनमे खरीदने की इच्छा जागृत करता है अथवा अनीक उपलाभ वस्तुओं में से एक का चयन करने में मदद करता है और किसी वस्तु के ब्रांड विशेष के प्रति उनकी प्रतिबद्धता बढ़ता है। कभी-कभी ऐसा लगता है की विज्ञापन हमारे जीवन मे सहायक की भूमिका तो निभा ही रहा है किन्तु कुछ मामलों में वह ग्राहकों या ऊपभोक्ताओं को आदेश देने लगता है। यानि मस्तिष्क पर इतना गहरा प्रभाव पड़ता है की किसी ब्रांड की उपभोक्ता को आदत पड़ जाती है। विज्ञापन के सार्वभौमिक प्रभाव के परिणामस्वरूप में हम यह तो जानते हैं की विज्ञापन उत्पादकों द्वारा तैयार उत्पादों की जानकारी ग्राहकों या उपभोक्ताओं तक पहुंचाकर उन्हें सही वस्तु खरीदने में मदद करता है किन्तु उसकी समूची परिभाषा प्रस्तुत करना इतना सरल कार्य नहीं है फिर भी इसे समझना आवश्यक है। विज्ञापन शब्द में ज्ञापन , जिसका अर्थ है सूचना या जानकारी देने के पूर्व वि , उपसर्ग जोड़कर बना है जिसका अर्थ है किसी वस्तु की विशेष जानकारी देना। विज्ञापन अ
निरंजन जी बधाई हो
ReplyDeleteनिरंजन जी बधाई हो
ReplyDeleteएक कहावत है , जैसा राजा वैसी प्रजा आज के सन्दर्भ में भी इस कहावत की अहमियत उतनी ही है जितनी राजशाही के समय में थी बल्कि मेरा तो मानना है की आज यह अधिक सटीक है 1 लोकतांत्रिक अंगों की दुर्बलता देख कुछ असामाजिक तत्व इसका भरपूर फायदा उठाते है और उन्हें कुछ विकृत मानसिकता वाले नेताओं का भी भरपूर समर्थन मिलता है1 असम के मौजूदा हालात में सरकार निक्कमी दिख रही है या फिर उसको इस जनसंहार और हिंसा में कुछ फायदा दिख रहा है 1 सबको पता है असम के कोकराझार ,चिरांग आदि जिलों में आदिवासियों और मुस्लिमों के मध्य हिंसा कोई अनोखी घटना नहीं है 1 अभी चार साल पहले ही २००८ में ऐसी वारदातें हो चुकी है 1 फिर भी सबक न लेना सरकार के लकवाग्रस्त होने की ही निशानी है 1
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