राजनीति और दंगा

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राजनीति और दंगा का संबंध बहुत पुराना हैा

 समझ नहीं आता असम में जातीय दंगो का दोष किस पर मढा जाय,राजनीतिक पार्टियों पर , नेपाल से आये प्रवासी लोगों पर या असम के स्‍थानीय लोगों पर, जिसने जातीय दंगे का नाम जोडकर असम की छवि को तार तार करने की कोशिश की हैा किसी भी दंगे का संबंध किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से होना लाजिमी हैा  वोट बैंक की राजनीति ने ही असम को जलाने का काम किया है,कितने घरों को बेघर कर दिया है, अब इनकी वेदना को शान्‍त करने के लिए भी राजनीतिक तरीके अपनाये जा रहे है, जिससे पार्टियों का वोट बैंक भी बन रहा है और आम लोगों का साथ भी मिल रहा है 1 असम में 1971 के बाद से ही बंगलादेशी घुसपैठियों का आना शुरू हो गया था जिसे असम सरकार ने बोट बैंक के चलते स्‍थानीय नागरिकता प्रदान कर दी 1 इस कारण से भी स्‍थानीय नागरिकों में सरकार और प्रवासी लोगों केखिलाफ आक्रोश बढता गयाा असम में जातीय आग जलती रही और महामहिम के लिए 21 तोपें  आग उगलती रहीा अब तक असम से 1,50,000 लोग  पलायन कर चुके हैंा बांगलादेश से आए घुसपैठियों ने स्‍थानीय नागरिकों के कई मकानों और जमीनों पर कब्‍जा कर लिया है, 50 से ज्‍यादा जानें जा चुकी है लेकिन निकम्‍मी सरकार अभी भी चुप्‍पी साधे राजनीतिक रोटियां सेकने में लगी हैा एैसे में तो मुझे राजनीति और रातनीतिक व्‍यक्ति से घृणा होती हैा

                                                                         ये मेरा व्‍यक्तिगत विचार हैा

Comments

  1. निरंजन जी बधाई हो

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  2. निरंजन जी बधाई हो

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  3. एक कहावत है , जैसा राजा वैसी प्रजा आज के सन्दर्भ में भी इस कहावत की अहमियत उतनी ही है जितनी राजशाही के समय में थी बल्कि मेरा तो मानना है की आज यह अधिक सटीक है 1 लोकतांत्रिक अंगों की दुर्बलता देख कुछ असामाजिक तत्व इसका भरपूर फायदा उठाते है और उन्हें कुछ विकृत मानसिकता वाले नेताओं का भी भरपूर समर्थन मिलता है1 असम के मौजूदा हालात में सरकार निक्कमी दिख रही है या फिर उसको इस जनसंहार और हिंसा में कुछ फायदा दिख रहा है 1 सबको पता है असम के कोकराझार ,चिरांग आदि जिलों में आदिवासियों और मुस्लिमों के मध्य हिंसा कोई अनोखी घटना नहीं है 1 अभी चार साल पहले ही २००८ में ऐसी वारदातें हो चुकी है 1 फिर भी सबक न लेना सरकार के लकवाग्रस्त होने की ही निशानी है 1

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