Niranjan Kumar
एम.फिल प्रथम छमाही के बाद से ही मैंने अध्यापन का कार्यमैंने DAVV, देवी अहिल्या विश्वविधालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला विभाग में अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया है। मेरे लिए यह खुशी की बात है कि कुछ दिनों पहले तक मैं यहां अध्ययनरत था और अब एक अध्यापक के रूप में कार्य कर रहा हूं। मैं अपनी और से पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला के सभी गुरूजनों के प्रति आभार प्रकट करता हूं और यह भरोसा दिलाता हूं कि मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगा। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता कॉलेज से सम्बद्ध पत्रकारिता कॉलेज Virtual Voyage Indore में अतिथि व्याख्याता के रूप में पढाना शुरू कर दिया था। अध्यापन के तौर पर यह मेरा प्रथम अनुभव था।
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विज्ञापन का इतिहास अर्थ,परिभाषा,प्रकार एवं आचार संहिता
विज्ञापन का इतिहास अर्थ,परिभाषा,प्रकार एवं आचार संहिता विज्ञापन सामान्यतः किसी वस्तु विधा या सेवा से उपभोक्ताओं से जानकारी करवाता है। उनमे खरीदने की इच्छा जागृत करता है अथवा अनीक उपलाभ वस्तुओं में से एक का चयन करने में मदद करता है और किसी वस्तु के ब्रांड विशेष के प्रति उनकी प्रतिबद्धता बढ़ता है। कभी-कभी ऐसा लगता है की विज्ञापन हमारे जीवन मे सहायक की भूमिका तो निभा ही रहा है किन्तु कुछ मामलों में वह ग्राहकों या ऊपभोक्ताओं को आदेश देने लगता है। यानि मस्तिष्क पर इतना गहरा प्रभाव पड़ता है की किसी ब्रांड की उपभोक्ता को आदत पड़ जाती है। विज्ञापन के सार्वभौमिक प्रभाव के परिणामस्वरूप में हम यह तो जानते हैं की विज्ञापन उत्पादकों द्वारा तैयार उत्पादों की जानकारी ग्राहकों या उपभोक्ताओं तक पहुंचाकर उन्हें सही वस्तु खरीदने में मदद करता है किन्तु उसकी समूची परिभाषा प्रस्तुत करना इतना सरल कार्य नहीं है फिर भी इसे समझना आवश्यक है। विज्ञापन शब्द में ज्ञापन , जिसका अर्थ है सूचना या जानकारी देने के पूर्व वि , उपसर्ग जोड़कर बना है जिसका अर्थ है किसी वस्तु की विशेष जानकारी देना। विज्ञापन अ
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