मानवता से नाता तोड रहा मानव

मानवता से नाता तोड रहा मानव 

जीवन में बढते आधुनिकता और मैट्रो सिटी में मनुष्य के बदलते स्वभाव और परिवेश ने उसे पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। पहले एक मानव दूसरे मानव को मार रहा था, गाली दे रहा था, हर कोई उंचाई पर पहुंचना चाह रहा था, दूसरे को नीचा दिखा रहा था। लेकिन समय के बदलते हालात ने परिवेश को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। अब मनुष्य किसी को मार नहीं रहा है, गाली नहीं दे रहा है, उसे अच्छाई की और चलने को प्रेरित नहीं कर रहा है बल्कि उसे छोड अर्थात उसका त्याग कर रहा है। चाहे रिश्ते में एक व्यक्ति दूसरे व्‍यक्ति का माता पिता, पति पत्नी या जन्म देनेवाले नवजात बच्चे की हो। आज कोई उसे सुधारता नहीं बल्कि उसे त्याग देता है।
उक्त धटना इन्दौर से संबंधित है। दिन गुरूवार पूरा इन्दौर झमाझम बारिश से सरोबोर था। तेज बारिश और हवा के झोंके ने तपती धरती की आग को जैसे बुझा दिया हो। सबसे अच्छा समय देख नवजात ऋषिका को उसके पिता ने मुसलाधार बारिश में बच्ची के मुंह में कपडा ठूसकर उसे मरने के लिए तिंछा फाल पर फेंक दिया। बाद में इस धटना में बच्ची की मां का भी हाथ बताया गया। अखबारी खबरों के आधार पर पूछताछ करने पर बच्ची के पिता ने बताया कि ऋषिका अक्सर बीमार रहती थी इसलिए हमलोगों ने उसे मारने की योजना बनाई।
यह कहाबत ऋषिका के पक्ष में सही साबित होता है जाके राको साईयां मार सके न कोय, जिसकी रक्षा ईश्वर करता है उसे मारने वाला कोई नहीं है। 16 घंटे बाद किसी ने बच्ची को देखा और उसकी सूचना पुलिस को दिया। ऐसी हालात में बारिश का पानी ही ऋषिका के लिए वरदान सावित हुआ है। धटना के तीन दिन बाद बच्ची पूरी तरह से स्वस्‍थ्‍ा है। जांच पडताल के बाद पुलिस ने माता पिता को जेल भेज दिया और बच्ची का नाम ऋषिका से बदलकर मिली रख दिया है।
यह घटना किसी नवजाता के साथ नहीं बल्कि आधुनिक समाज में कई ऐसे माता पिता हैं जिनके बच्चों की उम्र क्रमश: 8, 10, 12, 15 वर्ष तक है और उनके मां या पिता उन्हें छोडकर दूसरों के साथ अपना घर बसा रहे हैं।
रोंगटे खडी कर देनेवाली धटना ने मानवता को पूरी तरह से हाशिए पर खडा कर दिया है। घटनाएं तो प्रति‍दिन होती है लेकिन कुछ धटनाएं दिल को छू जाती है। बदलते परिवेश और माहोल को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मानव, मानव का नरसंघार करने में लगा है। पता नहीं यह सब कब तक चलता रहेगा। सभी मनुष्य अपने जीवन में आगे बढना चाहता है, धन दौलत कमाना चाहता है, यश कमाना चाहता है लेकिन यह कैसी विडंबना है कि अपने कोख से जन्म दिए बच्चे को मारना चाहता है, जंगलों में फेंकता है, उसे अपनों से अलग करना चाहता है और तब जब वह बच्चा अपनों से भी अनभिज्ञ रहता है। आनेवाले समय में भी अगर ऐसा ही चलता रहा तो इसके परिणाम और भी बिस्फोटक होंगे। मानव को मानवता से जोडने का प्रयास किया जाए। यही मात्र इसका एक विकल्‍प है।

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