विश्व हिन्दी सम्मेलन
एक नजर विश्व हिन्दी सम्मेलन के आंकडों पर ...
विश्व हिन्दी सम्मेलन भारत में नागपुर,दिल्ली के बाद भोपाल में दसवां विश्व हिन्दी सम्मेलन का अयोजन किया गया। किसी ने इसे संघ का सम्मेलन बताया तो किसी ने इसे साहित्य से परे बताया। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए छात्र छात्राओं ने हिन्दी सम्मेलन का आनंद उठाते हुए एक छात्रों ने तीन दिन में औसतन 1264 तस्वीर खींचवाएं हैं। विद्यार्थियों के साथ साथ शिक्षकों पर गौर करें तो ये आंकडे और भी चौकाने वाले हैं। औसतन एक शिक्षक ने तीन दिनों के सम्मेलन में 834 तस्वीर खींचवाया है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह के साथ तीन दिनों में 2600 लोगों ने फोटो खींचवाया है। हिन्दी की रोटी बेलने वालों की उपस्थिति अच्छी खासी रही और हिन्दी भााषा की रोटी खाने वाले नदारत रहे।
विश्व हिन्दी सम्मेलन में हिन्दी को इज्जत दिलाने के लिए गए बडे साहित्यकार झोला न मिलेने पर नाराजगी दिखाई और कहा कि यह हिन्दी सम्मेलन नहीं झोला सम्मेलन है।
कई लोगों ने तारीफों के पुल बांधते हुए हिन्दी सम्मेलन की व्यवस्था से खुश होकर कहा कि यह सम्मेलन महीने में एक बार होना चाहिए।
हिन्दी के विस्तार के लिए कई कसमें और वादे किए गए लेकिन भोपाल से प्रस्थान होेते हुए एक बडे साहित्यकार ने सभा में कहा कि वर्तमान समय में हिन्दी जतन की भाषा है और अंग्रेजी रत्न की भाषा है। रत्न पाना है तो अंग्रेजी सीखें।
विभिन्न विवि के छात्र-छात्राओं ने तस्वीरों में साहित्यकारों से ज्यादा स्थान नेताओं को देना पसंद किया।
विशेष संवाददाता के अनुसार। विश्व हिन्दी सम्मेलन में नेताओं और साहित्यकारों ने लडकियों के साथ फोटो खींचाना ज्यादा पसंद किया वहीं देशभर से आए विद्वानों को कहीं भी स्थान नहीं दिया गया।
विशेष अगले रिपोर्ट में। कुछ आप भी जानते हैं तो जरूर बताएं।
बातचीत पर आधरित रिपोर्ट।
Comments
Post a Comment