आज अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस है।

आज अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस है। कम से कम एक दिन तो इसी बहाने महिलाओं के उत्‍थान और पतन पर चर्चा हो जाती है। आज देश के कई संस्‍थानों में महिलाओं से जुडी हुई तमाम समस्‍याओं का हल निकाला गया या निकाला जा रहा होगा। ऐसा लग रहा था जैसे आज के बाद महिलाओं के बारे में चर्चा करने के लिए कुछ बचेगा ही नहीं। सो सारे व्‍याख्‍याता ने एक एक करके महिलाओं से जुडी तमाम समस्‍याओं को अपने भाषण में हल कर दिया। हद तो तब हो जाती है जब कई व्‍याख्‍याता अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं की समस्‍या से आम जन को अबगत कराता है। जैसे वह पत्‍नी से सारी समस्‍याओं को पूछ कर आया हो।
जब अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस पर भी महिलाओं की समस्‍या को पुरूष सुना रहा हो तो आप समझ सकते हैं कि महिलओं को कितना स्‍थान दिया जा रहा है।
आज के दिन भी सभा संगोष्‍ठी में कई महिलाएं अपनी बातों को रख नहीं पाई। कारण सभा में महिलाओं पर बोलने के लिए देश भर से पुरूष महिला विचारक को बुलाया गया था। ऐसे में सभाा संगोष्‍ठी होने से सच्‍चाई सामने नहीं आ पाती है।
आज के दिन तो कई लोग महिला दिवस की बधाईयां और शुभकामनाएं देकर अपने को समाज के मुख्‍य धारा में जोड रहे हैं। जैसे कल का दिन महिला के लिए न हो। तो मैंने भी कुछ लिख दिया।
जब अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस पर भी महिलाओं की समस्‍या को पुरूष सुना रहा हो तो आप समझ सकते हैं कि महिलओं को कितना स्‍थान दिया जा रहा है। आज के दिन भी सभा संगोष्‍ठी में कई महिलाएं अपनी बातों को रख नहीं पाई। कारण सभा में महिलाओं पर बोलने के लिए देश भर से पुरूष महिला विचारक को बुलाया गया था। ऐसे में सभाा संगोष्‍ठी होने से सच्‍चाई सामने नहीं आ पाती है। आज के दिन तो कई लोग महिला दिवस की बधाईयां और शुभकामनाएं देकर अपने को समाज के मुख्‍य धारा में जोड रहे हैं। जैसे कल का दिन महिला के लिए न हो। तो मैंने भी कुछ लिख दिया।

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