सत्‍ता से दूर होती दिख रही भाजपा।

    

सत्‍ता से दूर होती दिख रही भाजपा।


भारत में कांग्रेस का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है। इसका गठन 8 दिसम्बर1885 में हुआ। भारत के राजनीतिक पटल पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उदय का इतिहास आज़ादी के पूर्व में जाता है, जब वर्ष 1925 में डॉक्टर हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का गठन किया।
राजनीतिक स्थिति को देखते हुए संघ परिवार ने राजनीतिक शाखा के तौर पर वर्ष 1951 में भारतीय जन संघ का गठन किया। देश के प्रथम चुनाव में इस पार्टी को राष्‍ट्रीय पार्टी का दर्जा प्रदान किया गया।
अब गौर करें तो हम पाते हैं कि कांग्रेस के पास 125 साल से ज्‍यादा का राजनीतिक अनुभव वहीं भाजपा,संध के पास 85 साल का अनुभव अपने आप में कई दशक को समेटे हुए है। जो यह दर्शाता है कि भारत की राष्‍ट्रीय पार्टियां अब तक भारत और इंडिया के फर्क को आसानी से समझने लगी है।
हरबार की तरह इस बार भी 16वीं लोकसभा चुनाव में विकास का मुद्धा राजनीतिक पार्टियों के लिए सबसे उपर है। क्‍या विकास का पैमान सिर्फ चुनाव तक सिमित है या चुनाव जितने तक? कांग्रेस अब तक महंगाई,बेरोजगारी, भ्रष्‍टाचार और बलात्‍कार जैसी समस्‍याओं का सामाधान ढुंढन में लगी है। सौ साल से ज्‍यादा बीताने के बाद भी कांग्रेस के पास अपना विकास मॉडल नहीं है। पार्टी किस आधार पर वोट देन की बात कहती है यह समझ से परे है। सिर्फ इसलिए की वह भाजपा को सामप्रादायिक पार्टी बताती है।
भारतीय जनता पार्टी जिसे अब मोदी पार्टी कहा जाय तो गलत नहीं होगा। कांग्रेस से त्रस्‍त लोग एक आशा के साथ भाजपा की और देख रहे थे। 2014 के फरवरी तक जिस पार्टी को मीडिया सर्वे में 230से240तक दिखाया जा रहा था। वह पार्टी अपनी आंतरिक कलह और टिकट बंटवारें को लेकर जिस तरह से रानीतिक रंग दिखाया है उससे आम लोागें में भाजपा के प्रति असंतोष और विश्‍वास उठ सा गया है। वर्तमान समय में भाजपा 170 सीट से उपर जाती नहीं दिख रही है।
ऐसे में स्थिति साफ हो गया है कि देश में फिर से कांगेस की सरकार बरकरार रहेगी। आप कांगेस को वोट दें या न दें कुकुरमुत्‍ते पार्टी का वोट कांग्रेस के पास हमेशा की तरह सुरक्षित है। इस बार सत्‍ता में आने के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी भारतीय विकास मॉडल लाने में सफल हों। जनता चाहकर भी कांग्रेस को सत्‍ता से बेदखल नहीं कर सकती है। यही हैं कांग्रेस विकास मॉडल।


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