हम तुम्‍हारे हैं सनम

हम तुम्‍हारे हैं सनम
मैं अपनी श्रीमती जी से बहुत प्‍यार करता हूं। उसे जीवन में व सारा कुछ देना चाहता हूं जिसकी उसे चाहत है। उसे जीवन में हमेशा बहुत खुश देखना चाहता हूं। पर बदकिस्‍मती कहें व थोडा दूसरे तरह की खुशी और प्‍यार पाना चाहती है। जीवन के सफर में आगे बढना है तो आपको बहुत सारे कार्य करने होते हैं। इस तरह के सारे कार्य मेरी श्रीमतीजी को नागवर गुजरती है।

अब मैं आपको उनकी खुशी वाली बातें बता देता हूं। सुबह दन्‍त मंजन एक साथ करें, चाय एक साथ हो, नाशता एक दूसरे को प्‍यार से खिलाएं, बाइक पे खाली जगह छोडकर सट कर बैठना, पार्टी में हाथ पकडकर चलना, ड्रेस उनके पसंद का पहनना, दिन का खाना मेरे पसंद का हो या न हो रात का खाना उनके पसंद का हो, फिर साथ में खाना, कभी कभी साथ में गाना गाना, घर से बाहर निकलने से पहले ही जल्‍दी आने का न्‍योता देना, बाहर निकलते ही हाथ थाम कर चलना जैसे मैं उसे छोडकर कहीं भागने वाला हूं। अब उसको कौन समक्षाए की दिनभर यही करूंगा तो काम कौन देखेगा। बार बार दुहराता हूं हम तुम्‍हारे हैं सनम फिर भी नहीं मानती। व्‍यापार घाटे में जा रहा है।
मामला थोडा पेचीदा और उलझा हुआ है पढकर आपकी चींताए भी बढ रही होगी। मैं तो खुश हूं मेरी श्रीमती जी भविष्‍य के गर्त में हैं सो फिलहाल कोई बाधा नहीं है।
संदर्भ – इन्‍दौर, मीर्ची व्‍यापारी के दिल का बुरा हाल।

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