शिक्षक दिवस
आज देश के सभी स्कूलों,कॉलेजों में भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और देश के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा। कहा जाता है कि शिक्षक राष्ट्र निर्माण, समाज निर्माण और युग प्रवर्तक होता है। वर्तमान समय में आधुनिक शिक्षा की बढती महत्ता ने शिक्षा को भी राजनीति का अखाडा बना दिया है। भारत की पूरी शिक्षा व्यवस्था किसी शिक्षक के पास नहीं बल्कि किसी व्यवसायी के पास होता है।
भारत में गुरू शिष्य परंपरा आदिकाल से रही है। कहा जाता है कि गुरू बिना ज्ञान अधुरा होता है। गुरू की प्रासांगिकता भी आधुनिकता के दौर में बदलती जा रही है। अब पढाने वाले लोगों की इज्जत कम और नेता गुरू की इज्जत ज्यादा होती है क्योंकि उसकी सियासी पकड ज्यादा होती है। सियासी पकड के सामने वर्तमान समय की शिक्षा व्यवस्था कमजोर हो गई है। माना जाता है कि पढाई में कम भी हों तो चलेगा लेकिन सियासी चाल में ताश के पत्ते की तरह सिर्फ गुलाम और एक्का आना चाहिए। अगर आपमें ये तमाम खूबियां है तो आप भारत गुरू नहीं बल्कि विश्व गुरू हैं।
मैं अपने सभी शिक्षाविद गुरू जिसने मेरे जीवन को आगे बढाने में, अंधकार से प्रकाश की अैर लाने में , अपनी संस्कृति की पहचान कराने में सार्थक पहल की है ऐसे सभी गुरू को मैं अपनी और से चरण वन्दन करता हूं। आपके बिना हमारा जीवन बिना नाविक के नाव की तरह है। जिसको अपना किनारा पता नहीं है। आप श्रेष्ठ हैं। आपके मार्गदर्शन और स्नेह की ममता सदैव मिलता रहे।
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