HAM Radio हैम रेडियो
HAM Radioहैम रेडियो
जब भूकंप आदि बड़ी आपदाएँ आती हैं,
तो पल भर में सब कुछ तहस-नहस हो जाता
है। ऐसी स्थिति में संचार के सफल
साधन के रूप में हैम रेडियो काम आता है।
26 जनवरी,
2001 को गुजरात में आए विनाशकारी भूकंप के
दौरान यह संचार माध्यम बखूबी काम आया। अब वह दिन दूर नहीं, जब घर-घर नवस्थापित हैम रेडियो स्टेशन होंगे और उन पर
देश-विदेश के दूसरे हैम रेडियो सैट्स से वार्तालाप हुआ करेगा। सैलाब, भूकंप आदि अनेक
प्राकृतिक आपदाओं के समय हैम रेडियो
विश्व भर में बेहतर संचार का कारगर
माध्यम सिद्ध हुआ है। विश्व में हैम
पद्धति भी उतनी ही पुरानी है जितनी
पुरानी रेडियो संचार की सामान्य प्रणाली
है। हैम रेडियो संचार की सामान्य
प्रणाली है। हैम रेडियो पर विभिन्न
केन्द्रों के प्रसारण भी सुने जा सकते
हैं। इसके अतिरिक्त हमारी आवाज दूसरे
हैम प्रसारकों तक पहुंचती है। रेडियो
तरंगों के क्षेत्र में तीन महारथी बहुत
प्रसिद्ध थे- हट्र्ज, आर्मस्ट्रांग
तथा मार्कोनी। इन्हीं तीन वैज्ञानिकों
के नाम के प्रथमाक्षरों- एच,
ए, तथा एम को मिला हैम शब्द बना है। रेडियो के लिए शॉर्ट वेव बैंड में
1.2 से 30
मेगाहट्र्ज तक, वी.एच.एफ. बैंड में 30 मेगाहट्र्ज तक और यू.एच.एफ. बैंड में 300 से
3,000 हट्र्ज तक विभिन्न आवृत्तियों का आवंटन किया जाता है। मुख्यतः शॉर्टवेब का प्रयोग अधिक किया जाता है, क्योंकि इसकी तरंगें शीघ्र ही विश्व भर में
पहुंच जाती है। इन रेडियो तरंगों को किसी उपग्रह की आवश्यकता नहीं होती
है। संचार के क्षेत्र में आई क्रांति के कारण शीघ्र ही हैम रेडियो का
देशव्यापी नेटवर्क शुरू हो जाएगा।
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