आम आदमी पार्टी

 आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी की जीत ने सच में साबित कर दिया है कि जनता जागरूक हो गई है। लेकिन सवाल है कि जनता अगर जागरूक हो गई है तो सिर्फ दिल्‍ली में ही परिवर्तन क्‍यों? मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ और राजस्‍थान में परिवर्तन क्‍यों नहीं ? क्‍या इस प्रदेश की जनता जागरूक नहीं है या पढे लिखे लोग नहीं हैं। शायद ये भी कहना सही नहीं है, और ये कहकर छोड देना की जनता के पास कोई विकल्‍प नहीं है ये कहना भी गलत होगा क्‍योंकि इस बार नोटा का प्रयोग भी चुनाव में पहली बार किया गया था। ज्‍यादा से ज्‍यादा प्रतिशत में लोगों ने नोटा का बटन क्‍यों नहीं दबाया। सोचने वाली बात है, जनता जागरूक भी होती है तो दिल्‍ली से। जैसे मुंबई में फटा हुआ जिंस पहनने का चलन सबसे पहले आता है और बिहार, यूपी पहुंचते पहुंचते कम से कम दस बर्ष तो लग ही जाते हैं। इससे यह साफ होता है कि आम आदमी पार्टी को बिहार, यूपी पहुंचते पहुंचते दस साल जरूर लग जाएगा। क्‍योंकि दिल्‍ली की तर्ज पर बिहार, यूपी की जनता इंटरनेट और फेसबुक पर नहीं बल्कि खेतों और खलिहानों में ज्‍यादा समय बीताती हैं।

Comments

Popular posts from this blog

विज्ञापन का इतिहास अर्थ,परिभाषा,प्रकार एवं आचार संहिता

जनसंचार का सबसे प्रभावी माघ्यम है सिनेमा।

संचार शोध