बलात्‍कार और आरोप

बलात्‍कार और आरोप

पहले तो रात में डर लगता था अब तो दिन में भी डर लगने लगा है। पता नहीं कब किसका दुष्‍कर्म हो जाए या कब किसी पर दुष्‍कर्म का आरोप लग जाए। दोनों स्थिती काफी खतरनाक होती है। जरा बच के भैया समय का चक्र सही नहीं चल रहा है इसलिए बच के निकलने में ही फायदा है। अनुभव और तर्क के आधार पर भी पता नहीं चल पाता है कि आखिर भारतीय लडकियां तेज रफतार से आधुनिक और विकसित हो गई है या पुरूषों के मनोविज्ञान और उसकी सोच सिर्फ महिलाओं के तन तक सिमित होकर रह गया है। दोनों स्थिती देश और समाज के हित में नहीं है। अफसोस पता ही नहीं चलता है कि आखिर समझाउं तो किसे समझाउं।
      देश की बडी समस्‍या है दुष्‍कर्म और बलात्‍कार की समस्‍या। यह शव्‍द टेलीविजन, अखबार और इंटरनेट पर प्रत्‍येक दिन बिना खोजे मोटे अक्षरों में लिखा मिलता है। पूरा देश आज भ्रष्‍टाचार से लडते लडते बलात्‍कार और दुष्‍कर्म जैसे शव्‍दों से लड रहा है। किसी का बस ही नहीं चल रहा है बस चले तो इसमें भी कांग्रेस या बीजेपी का हाथ बताकर मामला को दबा देता।

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